राष्ट्रीय औसत से भी ज्यादा सूबे का सकल नामांकन अनुपात

25 वर्षों में गांव-गांव खुले स्कूल, बदली शिक्षा की तस्वीर

राष्ट्रीय औसत से भी ज्यादा सूबे का सकल नामांकन अनुपात

शिक्षा में सुधार को कई योजनाएं लागू, छात्रवृत्तियों का भी मिला लाभ

देहरादून, राज्य के गठन के उपंरात विगत 25 वर्षों में प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था सीमित संसाधन, विषम भौगोलिक परिस्थितियां, विद्यालयों तक पहुंच और ड्राप आउट जैसी चुनौतियों के बावजूद न सिर्फ मजबूत हुई है बल्कि कई क्षेत्रों में मील के पत्थर भी स्थापित किये हैं। शिक्षा व्यवस्था को सुधारने के लिये राज्य सरकार ने कई सुधारात्मक कदम उठाये। इसके अलावा राज्य में भारत सरकार की विभिन्न योजनाओं सर्व शिक्षा अभियान, राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान, साक्षर भारत कार्यक्रम, नव भारत साक्षरता कार्यक्रम, पीएम श्री योजना, पीएम जनमन कार्यक्रम और धरती आबा जनजातीय ग्राम उत्कर्ष अभियान आदि का सटीक क्रियान्वयन कर गांव-गांव तक शिक्षा का उजियारा फैलाया।

बस्तियों तक बनी शिक्षा की पहुंच
राज्य में आज 97 फीसदी बस्तियों में एक किलोमीटर की परिधि में प्राथमिक विद्यालय जबकि 98 फीसदी बस्तियों में तीन किलोमीटर की परिधि में उच्च प्राथमिक विद्यालय, 92 फीसदी बस्तियों में 5 किमी की परिधि में हाईस्कूल एवं 94 फसदी बस्तियों में 7 किमी की परिधि में इंटरमीडिएट विद्यालयों की पहुंच है। शेष बस्तियां मानक पूरे न होने के कारण विद्यालय खुलने से वंचित रह गई हैं। जबकि राज्य गठन के उपंरात प्राथमिक स्तर के 18 फीसदी एवं माध्यमिक स्तर पर 26 फीसदी नये विद्यालय खोले गये हैं।

राष्ट्रीय औसत से अधिक प्रदेश की जीईआर
राज्य के दूरस्थ क्षेत्रों तक विद्यालय खोले जाने से राज्य गठन के बाद सकल नामांकन अनुपात (ग्रॉस एनरॉलमेंट रेसियो-जीईआर) में अत्याधिक सुधार हुआ है। विशेषकर उच्च प्राथमिक स्तर पर यह अनुपात 80 से लेकर 104 प्रतिशत तथा माध्यमिक स्तर पर 56 से 93 प्रतिशत तक हो गया है। जो कि वर्तमान स्थितियों में शैक्षिक सूचकांकों के क्रम में राज्य का प्रदर्शन कुल राष्ट्रीय औसत से अच्छा है।

बोर्ड परीक्षा परिणामों में बढ़ा उत्तीर्ण प्रतिशत
राज्य गठन के उपरांत विद्यालय शिक्षा की पहुंच आसान होने, जन जागरूकता, विद्यालयों में संसाधनों की प्रयाप्त उपलब्धता, शिक्षकों के प्रशिक्षण आदि के परिणाम स्वरूप छात्र-छात्राओं के बोर्ड परीक्षा परिणामों में निरंतर सुधार हुआ है। जहां एक ओर राज्य गठन के समय हाईस्कूल स्तर पर बोर्ड परीक्षा में छात्रों का उत्तीर्ण प्रतिशत मात्र 32.6 फीसदी था वहीं वर्तमान में यह प्रतिशत 90.8 फीसदी हो गया है। इसी प्रकार इंटरमीडिएट स्तर पर बोर्ड परीक्षा में छात्रों का तत्कालीन उत्तीर्ण प्रतिशत 61.2 था जो अब 83.3 फीसदी हो गया है।

भौतिक संसाधन सम्पन्न बने विद्यालय
राज्य गठन के बाद विद्यालयों में भौतिक संसाधनों का चरणवद्ध ढंग से विकास किया गया। जिसके परिणाम स्वरूप वनभूमि क्षेत्रांतर्गत आने वाले 0.5 फीसदी विद्यालयों को छोड़कर शेष सभी विद्यालयों में भवन निर्माण कराये गये। जहां पर शत प्रतिशत विद्यालयों में बच्चों के बैठने के लिये फर्नीचर उपलब्ध है। करीब 98 फीसदी विद्यालयों में बालक-बालिकों के लिये शौचालय, 99 फीसदी विद्यालयों में पेयजल सुविधा तथा 95 फीसदी विद्यालयों में विद्युतीकरण आदि सुविधाएं उपलब्ध हैं। ढांचागत विकास में प्रगति के लिये राज्य सरकार द्वारा समय-समय पर विद्यालयी शिक्षा के बजट में वृद्धि की जाती रही है। जहां राज्य गठन के समय प्रारम्भिक स्तर पर 342 करोड़ का बजट स्वीकृत था वहीं वर्तमान में 4384 करोड़ हो गया है। इसी प्रकार माध्यमिक स्तर पर बजट 323 करोड़ से बढ़कर 7017 करोड़ हो गया है।

शिक्षा व्यवस्था में सुधार को कई योजनाएं लागू
राज्य की शैक्षणिक व्यवस्था में सुधार के लिये राज्य गठन के बाद समय-समय पर विभिन्न योजनाओं एवं गतिविधियों का क्रियान्वयन किया गया। जिसके संतोषजनक परिणाम मिले हैं। उदाहरण स्वरूप वर्ष 2003-04 में राज्य के दूर्गम एवं दूरस्थ क्षेत्रों के प्रतिभावान बालक-बालिकों को गुणवतापरक शिक्षा प्रदान करने के लिये एक-एक आवासीय विद्यालय राजीव गांधी नवोदय विद्यालय नाम से स्थापित किये गये। जिसका सफलतापूर्वक संचालन किया जा रहा है। इसी प्रकार वर्ष 2015-16 में राज्य के दूरस्थ क्षेत्रों में 04 राजीव गांधी अभिनव आवासीय विद्यालय व प्रत्येक विकासखंड में दो-दो मॉडल स्कूल विकसित किये गये। जिनकी वर्तमान में कुल संख्या 190 हो चुकी है। जिनके सफल संचालन के लिये 22 करोड़ 44 लाख रूपये का बजट आवंटित है।

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