आपदा क्षेत्रों में फंसे पशुओं को बचाने का अभियान

श्री केदारनाथ धाम मार्ग पर हुई विनाशकारी बादल फटने की घटना के बाद पशुपालन विभाग द्वारा पशु क्रूरता निवारण समिति और पीपल फॉर एनिमल्स उत्तराखंड के साथ मिलकर प्रभावित क्षेत्रों में फंसे हुए पशुओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए राहत एवं बचाव कार्य शुरू किए गए हैं।
मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी डॉ. आशीष रावत ने जानकारी देते हुए बताया कि अतिवृष्टि के कारण आपातकालीन स्थिति के बादअब तक नागरिकों तथा पशु कल्याण संगठनों की मदद से हजारों पशुओं की जान बचाई जा चुकी है। कहा कि पीपल फॉर एनिमल्स उत्तराखंड द्वारा वर्ष 2013 की भांति यात्रा मार्ग में फंसे हुए पशुओं को अविमुक्त करने के कार्य में सराहनीय सहयोग प्रदान किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि केदारघाटी में आपातकालीन निकासी हेतु हजारों यात्रियों को हेलीकॉप्टर के माध्यम से सुरक्षित निकाला गया। हालांकि मार्ग में कई घोड़े फंसे हुए हैं इनमें विशेष रूप से जंगलचट्टी और लिनचोली जैसे स्थानों पर टूटे हुए मार्ग के कारण घोड़े उन स्थानों से निकलने में साक्षर हैं। पशुपालन विभाग ने पशु क्रूरता निवारण समिति और पीपल फाॅर एनिमल्स उत्तराखंड के साथ मिलकर उक्त स्थानों पर भोजन-चारा की व्यवस्था की है, जिससे सड़कों के साफ होने तक पशुओं को पर्याप्त भोजन उपलब्ध हो सके। उन्होंने कहा कि अतिवृष्टि के बाद भीमबली पुलिस चौकी पर चौकी प्रभारी यशपाल रावत के सहयोग से रामबाड़ा में नदी पार पुराने रास्ते की ओर फंसे हुए घोड़ों को पीपल फाॅर एनिमल्स की रेस्क्यू टीम द्वारा सफलता पूर्वक रेस्क्यू कर सुरक्षित स्थान पर लाया गया है।
उन्होंने बताया कि रेस्क्यू टीम के सदस्यों ने बहादुरी और सहृदय का परिचय देते हुए ऐसे स्थान से घोड़ों को अवमुक्त किया जहां वो कई दिनों से बिना भोजन के फंसे हुए थे। इन जानवरों के मालिकों से संपर्क करने का प्रयास किया जा रहा है ताकि वे श्री केदारनाथ यात्रा मार्ग में अपने घोड़ों का संचालन पुनः कर सकें और साथ ही उन्हें जंगल के रास्ते से सुरक्षित स्थान पर ले जा सकें।
मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी ने कहा कि केदारनाथ के दूसरे हिस्से में फंसे पशुओं को बचाव दल द्वारा समीप ही बुग्याल की ओर ले जाया जा रहा है, जहां उन्हें उनके मालिकों के आने तक अथवा सड़क साफ होने तक पर्याप्त भोजन मिल सकेगा। इसके साथ ही सभी घायल घोड़ों को पशुपालन विभाग और पीएफए की संयुक्त टीम के द्वारा चिकित्सीय सहायता भी प्रदान की जा रही है ताकि उनका शीघ्र स्वास्थ्य लाभ सुनिश्चित किया जा सके। उन्होंने कहा कि अब तक एक हजार से अधिक फंसे हुए घोड़े-खच्चरों को सुरक्षित स्थानों तक ले जाया गया है। इसके अतिरिक्त 3 हजार से अधिक घोड़े-खच्चरों को चारा उपलब्ध कराया गया है।
पशु क्रूरता निवारण समिति और पीपल फाॅर एनिमल्स उत्तराखंड फंसे हुए घोड़ों के कल्याण के लिए प्रतिबद्ध है तथा उनकी सुरक्षा और कल्याण सुनिश्चित करने के लिए संबंधित विभागों के साथ प्रयासरत है। बताया कि प्रभावित जानवरों की निरंतर निगरानी व सहायता प्रदान की जा रही है। साथ ही किसी भी स्थान पर घोड़े फंसे होने की सूचना उपलब्ध कराने हेतु हेल्पलाइन नंबर-8445356388 भी जारी किया गया है।

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